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ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे, भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे ..

जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का. सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ..

मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी, तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ..

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ..

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता ..

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ..

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे, करुणा हस्त बढ़ाओ, द्वार पड़ा तेरे ..

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ..

ॐ जय शिव ॐकारा

ॐ जय शिव ॐकारा, स्वामी हर शिव ॐकारा .ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा ..जय शिव ॐकारा ..

एकानन चतुरानन पंचानन राजे स्वामी पंचानन राजे .हंसासन गरुड़ासन वृष वाहन साजे .. जय शिव ॐकारा ..

दो भुज चारु चतुर्भुज दस भुज से सोहे स्वामी दस भुज से सोहे .तीनों रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे .. जय शिव ॐकारा ..

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी स्वामि मुण्डमाला धारी .चंदन मृग मद सोहे भाले शशि धारी .. जय शिव ॐकारा ..

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगे स्वामी बाघाम्बर अंगे .सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे .. जय शिव ॐकारा ..

कर में श्रेष्ठ कमण्डलु चक्र त्रिशूल धरता स्वामी चक्र त्रिशूल धरता .जगकर्ता जगहर्ता जग पालन कर्ता .. जय शिव ॐकारा ..

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका स्वामि जानत अविवेका .प्रणवाक्षर में शोभित यह तीनों एका . जय शिव ॐकारा ..

निर्गुण शिव की आरती जो कोई नर गावे स्वामि जो कोई नर गावे .कहत शिवानंद स्वामी मन वाँछित फल पावे . जय शिव ॐकारा ..

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा

 जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,,माता जाकी पारवती पिता महादेवा ..

एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी, माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी .

पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा, लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा ..

अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया, बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया .

'सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा, जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..

 

लक्ष्मी माता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता तुम को निस दिन सेवत, हर विष्णु विधाता, ॐ जय लक्ष्मी माता ..

उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता ओ मैया तुम ही जग माता सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता, ॐ जय लक्ष्मी माता ..

दुर्गा रूप निरन्जनि, सुख सम्पति दाता ओ मैया सुख सम्पति दाता .जो कोई तुम को ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता ॐ जय लक्ष्मी माता ..

तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता ओ मैया तुम ही शुभ दाता .कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की दाता ॐ जय लक्ष्मी माता ..

जिस घर तुम रहती तहँ सब सद्गुण आता ओ मैया सब सद्गुण आता .सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता ॐ जय लक्ष्मी माता ..

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता ओ मैया वस्त्र न कोई पाता .खान पान का वैभव, सब तुम से आता ॐ जय लक्ष्मी माता ..

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता ओ मैया क्षीरोदधि जाता .रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॐ जय लक्ष्मी माता ..

महा लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता ओ मैया जो कोई जन गाता .उर आनंद समाता, पाप उतर जाता ॐ जय लक्ष्मी माता ..

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